कमर्शियल सिनेमा में महिलाओं के चित्रण से इतर कश्यप की फ़िल्में महिलाओं से जुड़े स्टीरियोटाइप्स तोड़ती हैं

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OPINION

  
 
     
  स्वतंत्र, विद्रोही और अपनी शर्तों पर जीने वाली. अनुराग कश्यप की फ़िल्मों की अदाकाराएं वास्तविकता के करीब होती हैं  
 
    
 
  

फ़िल्मों में महिलाओं के पात्रों की प्रासंगिकता पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं. कमर्शियल सिनेमा और आर्ट सिनेमा में तमाम तरह का विरोधाभास देखने को मिला है. बॉलीवुड में बीच-बीच में महिला प्रधान फ़िल्में देखने को मिलती रही हैं लेकिन कमर्शियल सिनेमा ने कहीं न कहीं अदाकाराओं को नाचने-गाने या शोपीस तक ही सीमित कर दिया है.  Read More

  
 
  

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दुनिया में हैं औरतों से जुड़े कई असंवेदनशील रिवाज़. कहीं उनको मोटा किया जाता है, कहीं मारा जाता है

इस दुनिया की आबादी 7.5 बिलियन से भी ज़्यादा है. इस दुनिया में विभिन्न जाति, धर्म, सभ्यता, संस्कृति और भाषा के लोग रहते हैं. अलग-अलग संस्कृतियों की मान्यताएं भी अलग हैं. अगर मान्यताओं का आंकलन किया जाए, तो ये साफ़ हो जाता है कि क्रूर से क्रूरतम मान्यता ज़्यादातर औरतों के लिए ही हैं.


  
  


19 साल पहले एक लड़का जुनून का पैंतरा लेकर मुंबई आया था, आज उसे लोग 'मुक्काबाज़' में देख रहे हैं

अनुराग कश्यप की फ़िल्म आ रही हैं, नाम है 'मुक्काबाज़'. कल ही ट्रेलर आया है. इस दमदार ट्रेलर को देख कर हर किसी के ज़हन में एक सवाल आ रहा है कि ये पॉवरहाउस एक्टर कौन है. कुछ को चेहरा देखा-देखा लग रहा है पर नाम कम ही लोगों को पता होगा.


  
 
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