आरआरएस कार्यकर्ताओं की कोशिशों से हुआ ये सब संभव
Newsletter #ArzKiyaHai NEWS कर्नाटक के झिरी गांव में सिर्फ़ पढ़े-लिखे ही नहीं, बल्कि अनपढ़ लोग भी बोलते हैं संस्कृत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेशक अमेरिका से ले कर ऑस्ट्रेलिया तक हिंदी में भाषण दे कर हिंदी की विश्वपटल पर पहचान बनाने की कोशिश करते हुए दिखाई दे रहे हों, पर असलियत ये है कि हिंदी आज केवल एक ख़ास दायरे तक ही सिमट कर रह गई. हिंदी की तुलना में संस्कृत ज़्यादा हाशिये पर पड़ी हुई दिखाई देती है, जो केवल पूजा-पाठ और मंदिर-मठ तक ही पढ़ी-पढ़ाई जाती है. Read More 50 रुपये के नए नोट नहीं पहचान पा रहे हैं नेत्रहीन, HC ने कड़ा रुख़ अपनाते हुए सरकार से मांगा जवाब नोट बंदी के बाद जारी किये ग...