रसूखदार लोग अगर केस से जुड़े हों तो न्यायिक व्यवस्था और भी लचर हो जाती है

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  ये है दुनिया का सबसे बेतुका प्रोडक्ट, ऐसा वाइब्रेटर जो करेगा अलार्म का काम  
 
    
 
  

सुबह की नींद से प्यारा भी दुनिया में कुछ होता है क्या? शायद नहीं, यही वजह है कि मधुर से मधुर गाने को अगर अलार्म बना लिया जाये तो उससे भी नफ़रत सी हो जाती है. कोई भी अपनी नींद में खलल नहीं चाहता, लेकिन इस दुनिया में जल्दी उठना कुछ लोगों की मजबूरी भी होती है. इसी के लिए अलार्म बनाये गए हैं. आज एक ऐसे अलार्म के बारे में हम आपको बता रहे हैं, जो शायद दुनिया का सबसे बेतुका प्रोडक्ट है.  Read More

  
     
  आधी जानकारी ख़तरे समान, इसलिए पूरी तरह से जान लीजिए इन 20 तथ्यों के बारे में  
 
    
 
  

जानकारी अगर अधूरी होती है, तो काफ़ी खतरनाक हो सकती है. कहते हैं कि 'अध जल गगरी झलकत जाए'. कुछ ऐसी हालत होती है, जब हमें किसी भी चीज़ के बारे में तो पता होता है, लेकिन उसके पीछे की सच्चाई का पता नहीं होता. कुछ ऐसे ही तथ्यों से हम आपको अवगत करवाते हैं, जिनके बारे में हम सब ने पहले सुना है लेकिन उसके बारे में जानकारी पूरी नहीं होने की वजह से हमारे तथ्य गलत साबित हो जाते थे. लेकिन आज के बाद आपकी ये जानकारी पूरी तरह से ठोस हो जाएंगी.  Read More

  
 
  

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हाई प्रोफ़ाइल केस में इंसाफ़ मिलने में दशकों लगते हैं, फिर आम आदमी किस उम्मीद से रखे न्याय की आस?

984 के सिख दंगों में आरोपी 64 साल के ओमप्रकाश को दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार किया है. ओमप्रकाश पर आरोप है कि 2 नवंबर 1984 को वह गोल मार्केट की एक शराब की दुकान में घुसा और वहां जाकर उसने तोड़फ़ोड़ और चोरी की. 1984 की एफ़आईआर के मुताबिक, ओमप्रकाश के साथ 12 और लोग मौजूद थे जिन्हें मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन की पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था लेकिन बाद में इन्हें जमानत मिल गई.


  
  


भारतीय सिनेमा के 'Golden Period' की ऐसी 46 फ़िल्में, जिनमें हमारे आज की झलकियां दिखती हैं

भारतीय फ़िल्म जगत आज देश-विदेश में अपनी पहचान बना चुका है. ऐसा माना जाता है कि हर साल अलग-अलग भाषाओं में लगभग 1600 फ़िल्में बनाई जाती हैं. कुछ फ़्लॉप होती हैं, तो कुछ आज की तारीख़ में हज़ार करोड़ से ज़्यादा का बिज़नेस करती हैं. भारत में फिल्मों को बनाने की शुरुआत 1910 में मूक फ़िल्म से हुई थी, वो ऐसा दौर था जब ब्लैक एंड व्हाइट होती थीं फ़िल्में, धीरे-धीरे तकनीक के उद्भाव से फिल्मों को रंगीन बनाया गया.


  
 
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