आज़ादी को 70 साल हो गए, लेकिन अंधविश्वासों से कब आज़ाद होगा अपना देश?
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ये लोग इतने मिलनसार निकले, इतने मिलनसार निकले कि अपने आस-पास के वातावरण में ही घुल-मिल गए! कहते हैं, हरदम बदलती इस दुनिया में इंसान भी अपना रंग बदलता रहता है. कुछ परिस्थितियों में इंसान किसी एक खास रूप में होता है, तो अगले ही पल वो अपना असली चेहरा दिखा सकता है. शायद इसलिए कहा गया है किसी इंसान को मुखौटा पहना दो और आप जल्द ही उसके असली रूप से वाकिफ़ होंगे. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
हमें लगता था कि भारत की छतों पर ही अतरंगी नज़ारे दिखते हैं, लेकिन रूस की बालकनियां भी कम नहीं! भारत की छतें बदनाम हैं, अपने छज्जे-छज्जे के प्यार और तारों पर सूखते फ़टे कच्छों के लिए. अधिकतर पश्चिमी देशों में ऐसा नज़ारा देखने को नहीं मिलता, पर भारत के मिडिल क्लास परिवार की ये एक पहचान है. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
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