घर से बाहर लड़कियों के टचअप करने से लोगों को इतनी प्रॉब्लम क्यों है?
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अफ़सोस, टीचर का खौफ़ इस कदर था कि इस स्टूडेंट ने पढ़ाई के बदले फांसी लगाना ही मुनासिब समझा स्कूल एक ऐसी संस्था होती है, जहां स्टूडेंट्स को सही ज्ञान के साथ-साथ न सिर्फ़ किताबी शिक्षा दी जाती है, बल्कि उनकी नैतिकता का निर्माण भी किया जाता है. मगर अफ़सोस कि शिक्षा के अलावा अब स्कूलों में बहुत कुछ हो रहा है. अब वो गुरु-शिष्य वाली परंपरा भी नहीं रही, जिसमें बच्चों को उनके गुरु बड़े प्यार से पढ़ाया करते थे. बच्चे हंसी-खुशी स्कूल जाया करते थे. मगर अब हालात बदल गये हैं. स्टूडेंट्स अब स्कूल और टीचर के नाम से ही थर-थर कांपने लगते हैं. अब पढ़ाई में कमज़ोर छात्रों को कुछ टीचर द्वारा पीटा जाता है, प्रताड़ित किया जाता है. जब स्टूडेंट्स की सहनशीलता जवाब दे देती है, तो परिणाम मौत के रूप में नज़र आता है. कुछ टीचरों की गलतियों के कारण आज बहुत से स्टूडेंट्स को अपनी जान गंवानी पड़ रही है. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
पब्लिक ट्रांसपोर्ट में काजल या लिपस्टिक लगाती हुई उस लड़की को सब इतना क्यों घूरते हैं? घर से ऑफिस जल्दी में निकलने की वजह से कभी-कभी बेसिक मेकअप करना रह जाता है. तो मैंने ऑफिस पहुंचे ही सीट पर बैठ कर काजल लगा लिया, ताकि हुलिया थोड़ा सही लगे. जैसे ही अपनी सीट पर वापस आई, मेरे कलीग ने कह दिया, 'यार तुमसे से उम्मीद नहीं थी'. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
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