जापान में बुज़ुर्ग खुद अपराध कर जेल को बना रहे हैं अपना आशियाना

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  हे बुज़ुर्गों, तुम हमारे समाज के लिए बोझ हो गये हो और हम असंवदेनशील लोगों से कोई उम्मीद भी न रखना  
 
    
 
  

अभी हाल ही में एक ख़बर आई थी कि जापान में बुज़ुर्ग छोटे-मोटे अपराध के ज़रिये अपनी स्वेच्छा से जेलों को अपना आशियाना बना रहे हैं. जापान के बुज़ुर्ग घर में मिल रहे अकेलेपन को दूर करने और परिवार द्वारा परित्यक्त कर दिये जाने की स्थिति में जेल का रास्ता चुन रहे हैं. ऐसा वो इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि जेल में उन्हें भोजन, कपड़े और चिकित्सीय सुविधाएं आदि आसानी से मिलती हैं, जो उन्हें घर पर नसीब नहीं होतीं.  Read More

  
     
  हर किसी के लिए अलग हो सकता है डिप्रेशन का असर, ये 15 तस्वीरें बेहतर समझायेंगी आपको  
 
    
 
  

अवसाद यानी डिप्रेशन, मनुष्यों के लिए इससे बुरी चीज़ कुछ हो ही नहीं सकती. अवसाद वो बीमारी है, जो मनुष्य की खुशियों को मार कर उसे गम के काले अंधेरे में ले जाता है. अवसाद के कई रूप और कई वजहें होती हैं. जैसे युवाओं के अवसाद से ग्रसित होने के आजकल के कारणों में प्रेम-प्रसंग, करियर की चिंता, घर वालों का रूखा व्यव्हार और कम दोस्त हो सकते हैं. अवसाद से ग्रसित इंसान अन्दर ही अन्दर किसी न किसी बात से जलता रहता है और वो उसे चीख-चीख कर दुनिया को बताना चाहता है, पर वो ऐसा कर नहीं पाता. इसी वजह से वो अपने अन्दर सिमट कर घुटता रहता है.  Read More

  
 
  

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पर्यावरण के मुद्दे पर चुप क्यों रहती हैं सभी पार्टियां, शायद इस बार आप चुप नहीं रहेंगे

यूं तो देश के कई राज्यों में इस साल चुनाव होने जा रहे हैं, मगर पूरे देश की नज़र उत्तर प्रदेश पर है. कहा भी जाता है कि यही एक ऐसा राज्य है, जो किसी भी पार्टी को केंद्र और राज्य में सत्ता का स्वाद चखा सकता है. इस लिहाज़ से यहां का चुनाव बेहद दिलचस्प होता है. हालांकि, आज हम यूपी इलेक्शन के बारे में चर्चा नहीं करेंगे, बल्कि आज हम मेनिफेस्टो के बारे में चर्चा करेंगे.


  
  


इन बेसहारा और अनाथ बच्चों के लिए वनीथा पिछले 16 सालों से मां भी बनी और छत भी

आज हम आपको एक ऐसी महिला से मिलवाने जा रहे हैं, जिसने कई अनाथ और बेसहारा बच्चों की ज़िन्दगी संवार है. श्रीमती वनीथा रेंगराज पोलाची के एक स्थानीय आर्ट और साइंस कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ हिस्टरी में बतौर सीनियर ग्रेड लेक्चरर काम कर रहीं थीं. उसी दौरान उनको पोलाची के इनर व्हील क्लब, के प्रेसिडेंट के रूप में चुना गया. इनर व्हील क्लब 1998-99 के दौरान रोटरी क्लब का ही एक विंग हुआ करता था. यही वो समय था जब उन्होंने समाज के लिए कुछ करने के लिए गंभीरता से सोचा और इसके लिए उन्होंने फुटपाथों और उनके आस-पास के स्लम एरिया में रहने वाले लोगों के मिलना-जुलना और उनकी समस्याओं और परेशानियों को समझना शुरू किया.


  
 
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