बैंक मैनेजर इनकी ईमानदारी से काफ़ी प्रभावित हैं

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  झारखंड में SDO ऑफ़िस की सीढ़ियों पर ठंड से महिला की मौत, कम्बल के लिए कई दिनों से काट रही थी चक्कर  
 
    
 
  

पहाड़ों पर बर्फ़ गिरने और शीत लहर चलने के कारण पूरे देश में लोग ठण्ड में ठिठुर रहे हैं. जिनके सिर पर छत है वो तो फिर भी इस कड़ाके की ठण्ड से खुद को बचा ले रहे हैं, लेकिन जिनके पास छत तो दूर की बात है सर्दी से खुद को बचाने के लिए गर्म कपड़े नहीं हैं वो कैसे अपना गुज़र-बसर कर रहे हैं. शायद ही कोई इस बारे में सोच रहा हो. हर साल कितने ही लोग जो फुटपाथ पर जीने को मजबूर हैं कडाके की ठण्ड में दम तोड़ देते हैं.  Read More

  
     
  एयरपोर्ट पर घंटों फंसे रहने और सामान न मिलने के बाद भी महिला बॉक्सरों ने जीते 6 मेडल  
 
    
 
  

चौबीस घंटों तक एयरपोर्ट पर फंसे रहने के बाद और सामान न मिल पाने के बाद भी भारतीय महिला बॉक्सर्ज़ ने ऐसा प्रदर्शन किया कि पूरे विश्व में हो रही है वाह-वाही. इतनी मुसीबत झेलने के बावजूद, इन दमदार लड़कियों ने सर्बिया में Nation's Cup में 6 मेडल जीत कर भारत का नाम विदेशी धरती पर चमका दिया है.  Read More

  
 
  

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ATM से 3500 निकालने गए थे जितेश, मगर निकल आए 70000, उन्होंने इसकी जानकारी बैंक को दी

राजस्थान के टोंक के रहवासी जितेश दिवाकर के साथ एक अजीब वाकया हुआ. वो अपने घर के पास के एटीएम से पैसे निकलाने गए थे, मगर उम्मीद से ज़्यादा पैसे निकल आए. वे इस घटना से थोड़े परेशान भी हो रहे हैं. नोटबंदी के बाद इस तरह की ख़बरें देश के अन्य हिस्सों से देखने और पढ़ने को मिल रही थीं. आइए, पूरे मामले को विस्तार से जानते हैं.


  
  


जिन बच्चों के कंधों पर हिन्दुस्तान का भविष्य टिका है, उनके अधिकारों पर हम चुप क्यों हैं?

साल था 1989. तारीख थी 20 नवंबर. समस्त विश्व के बच्चों के कल्याण के दृष्टिकोण से एक खास दिन. इस दिन एक ऐसा अध्याय लिखा जाना था, जिससे विश्व के सभी बच्चों की ज़िंदगी बदलने वाली थी. सभी बच्चे सुरक्षित होने वाले थे, उन्हें अधिकार मिलने वाले थे. ऐसा हुआ भी. 20 नवंबर 1989 को विश्व के सबसे बड़े संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ ने 'बाल अधिकार समझौते' को पारित कर विश्व इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया, जिसमें बच्चों की तकदीर लिखी गई. मगर अफ़सोस वह तकदीर कागज़ से कभी बाहर नहीं निकल पाई.


  
 
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