तिरस्कार बहुत खतरनाक होता है एक शासक के लिए
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रावण से बड़ा ज्ञानी धरती पर नहीं हुआ, साबित करती हैं ये 10 अद्भुत बातें रामायण में सत्य पर असत्य की विजय का पाठ हमें हमेशा से ही पढ़ाया जाता रहा है. राम और रावण के बीच का युद्ध, जिसमें राम सत्य के प्रतीक थे तो वहीं रावण असत्य का पताका हाथ में लिए था. हमें रावण को हमेशा अधर्मी और शैतान का रूप बताया गया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण एक ऐसा शख़्स था, जिसके ज्ञान के आगे देवता भी नतमस्तक हो जाते थे! अपनी अधर्मी छवि के बावजूद रावण के कई ऐसे उदाहरण पेश किए जिससे पता चलता है कि वो सच में एक बहुत बड़ा ज्ञानी पुरूष था. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
इन 10 शक्तिशाली शासकों के जीवन का अंतिम दौर तिरस्कार और अपमान में गुजरा था शक्ति का दौर हर समय में रहा है. कहीं विचारों को जकड़ा गया है तो कहीं इंसानों को कैद कर उन पर बर्बरता की गई और ज़ुल्म ढाये गये. शक्ति से तानाशाही आती है. क्रांति आने के बाद तानाशाही का वजूद ज़्यादा समय तक टिक नहीं पाता. क्रांति लोगों की आवाज़ों में होती है, जब लोग सवालों से कतरा कर उन सवालों को सवाल ही रहने देते हैं और जो आवाज़ उन सवालों के जवाब देती है, वो क्रांति की जनक बन जाती है. उस आवाज़ में बहुत सारे सवालात भी मौजूद होते हैं. मसलन एक मसौदा होता है उसमें. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
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