इनकी बलिदानी ही हमारी आजादी की वजह है.
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अगर ज़िंदगी से प्यार नहीं है तो किसी पोस्ट मार्टम रूम में जाकर देखना, मरने से कांप उठोगे शाम का समय है, कुछ गाड़ियां आकर अचानक सब्जी मंडी मुर्दाघर के बाहर रुकती हैं. सरकार द्वारा संचालित ये शहर के सबसे पुराने मुर्दाघरों में से एक है. तभी पुलिस के लोग एक अनजान आदमी की लाश लेकर आते हैं. हां दूसरी तरफ एक और लाश पड़ी है, उसके बारे में कहा जा रहा है कि उसकी मरने की वजह अभी तक सामने नहीं आ पाई है. मुर्दाघर का कर्मचारी रोज़ की तरह आता है, लाश को किसी कचरे की तरह Stretcher पर डालता है और उसे अंदर लेकर चला जाता है. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
इन 10 शहीदों के बारे में जान कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा 'इस कदर वाकिफ़ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से, अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूं तो इंक़लाब लिखा जाता है'. भगत सिंह के इस वाक्य से तो आप वाकिफ़ ही होंगे. देशभक्ति उनके अंदर इस कदर हावी थी कि वो हर पल देश के बारे में सोचते रहते थे. देश को आज़ाद करवाने में कई सपूतों की महत्वपूर्ण भूमिका रही. वहीं आज़ादी के बाद भी देश पर दुश्मनों ने कई बार हमले किए, ऐसे में देश के सच्चे सपूतों ने न सिर्फ़ पलट कर जवाब दिया बल्कि उनका जीना दुश्वार भी कर दिया. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
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