विनोद और रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं मगर प्रैक्टिस के लिए ना पैसे हैं, ना ही समय
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इस शिक्षक ने 6 साल में कुछ ऐसा कर दिया कि जब विदाई हुई तो बच्चे ही नहीं, रोया सारा गांव जब शिक्षक अच्छे हों, तो उनकी विदाई में विद्यार्थियों का रोना लाजिमी है. लेकिन क्या आपने कभी ये सुना कि किसी शिक्षक के विदाई समारोह में बच्चों के साथ-साथ गरीब-मजदूर, किसान, महिलाएं, बूढ़े सभी ने आंसू बहाये हों? दरअसल, यह न कोई खबर है और न ही कोई विज्ञापन. यह हमारे समाज के लिए एक आईना है. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
दो गिनीज़ रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले विनोद को पूरी दुनिया जानती है, मगर सरकार को इनकी ख़बर ही नहीं दिल में आग हो और कुछ पाने की ललक हो, तो ज़िंदगी में आई रुकावटें ज़्यादा समय तक नहीं टिक पाती हैं. दिल्ली के नांगलोई के रहने वाले विनोद कुमार चौधरी, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में अनुबंध के तहत एक कंप्यूटर ऑपरेटर हैं. वे रोज़ अपनी बाइक से लगभग 30 किमी की यात्रा तय कर काम करने आते हैं. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
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